अब तो हुकूमत ने भी के दिया आत्मनिर्भर बनो लगता है हुकूमत का भी ज़मीर मर गया। अब तो हुकूमत ने भी के दिया आत्मनिर्भर बनो लगता है हुकूमत का भी ज़मीर मर गया।
देखती है आवाजों के साथ मुस्कराता शहर का असली आईना कविता न उठाती है हथियार न लहराती है परचम वह ध... देखती है आवाजों के साथ मुस्कराता शहर का असली आईना कविता न उठाती है हथियार न ...
भारी भरकम भीड़ लिए कुछ लोग मदद को आते हैं अपनी मीठी बातों से फिर सबको भरमाते हैं . भारी भरकम भीड़ लिए कुछ लोग मदद को आते हैं अपनी मीठी बातों से फिर सबको भरमाते...
भक्ति रचना भक्ति रचना
तू भूल बैठा है मुझे ना जाने किसकी खातिर, तरसी है आंखे एक तुझे देखने की खातिर,।। तू भूल बैठा है मुझे ना जाने किसकी खातिर, तरसी है आंखे एक तुझे देखने की खातिर...
व्यवस्था परिवर्तन का समय आया है सुरक्षा की महत्वता का ज्ञान पाया है । व्यवस्था परिवर्तन का समय आया है सुरक्षा की महत्वता का ज्ञान पाया है ।